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पीरियड्स से जुड़ी दूसरी परेशानियाँ

स्पॉटिंग क्या है?

क्या आपको पीरियड्स से पहले ही स्पॉटिंग होती है? पीरियड्स के बीच स्पॉटिंग या ब्लीडिंग क्या है, इस बारे में स्टेफ्री® द्वारा दी जाने वाली जानकारी पढ़ें क्योंकि हम हमेशा आपका मार्गदर्शन करने और आपकी मदद करने के लिए तैयार हैं!

spotting cure

प्रस्तावना

हर महीने अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल (माहवारी) के दौरान एक महिला के साथ हॉर्मोन से जुड़े कई बदलाव होते हैं, जोकि आम तौर पर 3 से 7 दिन तक रहता है। पीरियड को छोड़कर अगर कभी आपको हल्का वजाइनल ब्लीडिंग देखने को मिलता है, तो इसे ‘स्पॉटिंग’ कहा जा सकता है। इस प्रकार की ब्लीडिंग का मतलब कोई बिमारी नहीं होता। मेंस्ट्रुअल साइकिल में अनियमितता और देर होना स्पॉटिंग के आम कारणों में से एक हो सकता है। महिलाओं की उम्र के आधार पर डिस्फ़न्क्शनल यूटेरिन ब्लीडिंग के कई कारण होते हैं।

शरीर के अंदर एस्ट्रोजन और प्रोजेस्ट्रॉन में असंतुलन होने से पीरियड में देर या चूक हो सकती है, जसिकी वजह से कभी-कभी हल्की स्पॉटिंग हो सकती है। इसके लिए पैड या टेम्पन का इस्तेमाल करना ज़रूरी नहीं होता है। इसे अपने पीरियड के साथ जोड़ने की कोशिश ना करें। ब्लड टेस्ट, थायरॉइड टेस्ट, यूरिन टेस्ट, कम्पलीट ब्लड काउंट (सीबीसी), और प्रेगनेंसी टेस्ट भी इस तरह से बार-बार स्पॉटिंग होने के कारण हो सकते हैं। अगर आपके शरीर में हॉर्मोन के ट्रीटमेंट से कुछ सुधार नहीं आ रहा है, तो अपने डॉक्टर से मिलकर फाइब्रॉइड्स, ट्यूमर्स या यूटेरस में इंफेक्शन/संक्रमण जैसे अन्य कारणों की जांच करें। हॉर्मोनल प्रिस्क्रिप्शन लेते हुए इस बात का भी ध्यान रखें कि आपके पीरियड नियमित हो रहे हैं या नहीं। अगर दवाइयों से कोई सुधार नहीं आ रहा हो तो, आपको हिस्टेरोस्कोपी करवानी पड़ सकती है। इसमें यूटेरस की जांच के द्वारा ब्लीडिंग होने के कारण का पता लगाया जाता है।

पीरियड के पहले स्पॉटिंग होने के कारण

मोटापा, बहुत ज़्यादा कसरत, और तनाव ये कुछ ऐसे कारण हैं जिनसे ब्लीडिंग में अनियमितता हो सकती है। स्पॉटिंग होने के पीछे कई और भी कारण हो सकते हैं। प्रोजेस्ट्रोन एक ऐसा फ़ीमेल सेक्स हॉर्मोन है जो मेंस्ट्रुअल साइकिल के लिए ज़िम्मेदार होता है।  प्रोजेस्ट्रोन के लेवल कम होने से एब्नॉर्मल यूटेरिन ब्लीडिंग होती है, जिसे पीरियड के पहले होने वाली स्पॉटिंग कहते हैं।  इसके अलावा जो आम कारण हैं, वो हैं:

  • अगर आप हॉर्मोन से जुड़ी गर्भ निरोधक गोलियाँ ले रहीं हैं तो शुरुआती तीन महीनों में स्पॉटिंग होना बहुत आम बात है। मेडिककल की भाषा में इसे ‘ब्रेकथ्रू ब्लीडिंग’ कहा जाता है।

  • गोनोरिया या क्लेमाइडिया जैसे सेक्सुअली ट्रांसमिटेड डिसीज़ (STD) से यूटेरस में सूजन आती है।

  • ब्लड क्लॉटिंग से जुड़ी परेशानियाँ, लिवर, किडनी की बिमारी या श्रोणि से जुड़े अंगों/पेल्विक ऑर्गन में संक्रमण

  • फाइब्रॉइड या पॉलिप्स का बनना। ये नॉन-कैंसरस ट्यूमर हैं जो यूटेरस लाइनिंग पर बन जाते हैं।

  • पॉलीसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम (PCOD) ओवरी/अंडाशय के काम में रुकावट पैदा करता है। हर महीना जिस तरह से होना चाहिए वैसे एग नहीं निकाले जाते हैं, और फ्लूइड से भरे फॉलिकल एग को घेर लेते हैं, जिसकी वजह से अनियमित पीरियड और स्पॉटिंग होती है।

  • इंट्रायूटेरिन डिवाइस (IUD) से स्पॉटिंग होने या हैवी पीरियड होने की संभावना बढ़ जाती है।

  • पेरीमेनोपॉज़ भी एक कंडीशन है जोकि तब उत्पन्न होती है जब आप मेनोपॉज़ के करीब होती हैं। इससे यूटेरस की लाइनिंग मोटी हो जाती है और पीरियड अनियमित हो जाते हैं, जिससे स्पॉटिंग भी हो सकती है।

  • मेनोपॉज़ एक स्त्री के जीवन की वह अवस्था है जब पीरियड पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। मेनोपॉज़ से जुड़े बदलाव आगे चलकर हैवी पीरियड का कारण बनते हैं, जिससे धीरे-धीरे अनियमित स्पॉटिंग होने लगती है।

  • प्रेगनेंसी की शुरुआत में भी स्पॉटिंग देखने को मिलती है। यह एक इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग है जो फर्टिलाइज़्ड एग के यूटेरस लाइनिंग से जुड़ने के बाद होती है।

स्पॉटिंग से कैसे बचा जाए?

स्पॉटिंग किसी तरह की बीमारी नहीं है जिसमें ठीक होने के लिए कोई ख़ास एंटीडोट काम कर जाए।  लेकिन फिर भी, अगर आपको अपनी हर मेंस्ट्रुअल साइकिल में दर्द, दुर्गंध या रंग में कुछ बदलाव दिखे तो आपको इससे निपटने के लिए सही इलाज करवाना होगा।  रिसर्च से यह पता चला है कि आपकी जीवन-शैली और तनाव के आधार पर पीरियड स्पॉटिंग के कारण हर लड़की में अलग-अलग हो सकते हैं। अगर अनियमित स्पॉटिंग का कारण कोई संक्रमण, कैंसर, या कोई और गंभीर रोग है, तो इसके चलते आपके जीवन को भी खतरा हो सकता है।

ये रहे इनसे बचने के कुछ आम तरीके जो आपके पीरियड स्पॉटिंग को कंट्रोल(संयमित) करने में मदद करेंगे:

  • अपने हॉर्मोन्स को नियंत्रित रखना:  एक सही वजन और खानपान हॉर्मोनल इम्बैलेंस की संभावनाओं को कम कर सकता है। जो जंक फ़ूड आप अभी तक खा रहे हैं उसे छोड़ें और उसकी जगह हरी सब्ज़ियों और अनाज का सेवन करें।

  • बहुत ज़्यादा कसरत ना करें:  महिलाओं का ज़्यादा कसरत करना भी स्पॉटिंग का एक ख़ास कारण है। बहुत ज़्यादा शारीरिक कसरत से भी पेल्विक एरिया पर दबाव पड़ सकता है, जिससे कभी-कभी स्पॉटिंग और डिस्चार्ज होने लगता है।

  • कॉन्ट्रासेप्टिव ज़्यादा न खाएँ:  जो महिलाएँ गर्भनिरोधक गोलियाँ लेती हैं, उनमें आगे चलकर अबनॉर्मल स्पॉटिंग देखने को मिलती है। ख़ुद डॉक्टर बनने और डॉक्टर के प्रिस्क्रिप्शन पर ध्यान ना देते हुए इन दवाइयों को लेते रहने से आपके पीरियड कई महीनों के लिए बंद हो सकते हैं।

  • अपने खाने में आयरन को भी शामिल करें:  खाने में ऐसे आइटम खाएं जिनमें आयरन की मात्रा ज़्यादा हो जैसे केले, फलियां, पालक आदि। जिस शरीर में खून की कमी होती है वो हर महीने रक्त स्त्रावण नहीं कर सकता है जिसके फलस्वरूप पीरियड स्पॉटिंग होती है।

  • घरेलु नुस्खे:  स्ट्रेस लेवल या तनाव कम करने के लिए योग और ध्यान करें। हॉर्मोनल इम्बैलेंस का पहला कारण है मानव शरीर का ज़्यादा से ज़्यादा तनाव लेना। एक अच्छी स्वस्थ मसालेदार चाय बनाएँ जिसमें, इनमें से कोई भी चीज़ - हल्दी, दालचीनी, अदरक या जीरा पीसकर डालें। यह आपकी मेंस्ट्रुअल साइकिल को नियमित बनाती है, और पीरियड स्पॉटिंग की संभावना को भी लगभग ख़त्म कर देता है।

वजाइनल ब्लीडिंग का कारण पता लग जाने के बाद, स्पॉटिंग का सही इलाज कराएं। अगर यह लक्षण फिर भी बने रहते हैं तो सही कारण समझने के लिए ब्लड टेस्ट, हॉर्मोनल टेस्ट और थायरॉइड फंक्शन टेस्ट करवाएं। गहन जांच के लिए, पेल्विक एमआरआई करवाना सही होगा ताकी फाइब्रॉइड या कैंसर का पता चल सके।

स्पॉटिंग के लिए कब डॉक्टर से मिलें?

अगर आप पीरियड के पहले या कुछ दिनों के बाद हल्की ब्लीडिंग देखते हैं तो घबराने की कोई बात नहीं है। जब बड़े क्लॉट के रूप में ब्लीडिंग हो या आपको हर घंटे में टेम्पन बदलने की जरुरत महसूस हो तब डॉक्टरी परामर्श लेना ज़रूरी हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में, आपको अपने डॉक्टर से मिलना चाहिए और इस बिना वजह की ब्लीडिंग के सही कारण का पता लगाना चाहिए।

जो महिलाएँ मेनोपॉज़ की अवस्था से गुजर रही हों उन्हें स्पॉटिंग को लेकर सतर्क रहना चाहिए क्योंकि पीरियड के पूरी तरह से बंद हो जाने के बाद ऐसा नहीं होना चाहिए। पेल्विक या सर्विक्स एरिया में किसी तरह का कैंसर ना बन रहा हो, इसकी पुष्टि के लिए बेहतर होगा कि आप पेप स्मीयर टेस्ट करवाएं। यह टेस्ट किसी तरह की सूजन या संक्रमण फैलाने वाले कारक की भी पुष्टि करता है।

इसलिए आम मेंस्ट्रुअल साइकिल के अलावा आप जब भी पीरियड स्पॉटिंग का अनुभव करें, तब अपने डॉक्टर को इस बारे में अवश्य बताएं। नीचे कुछ संकेत दिए गए हैं जो आपक्को यह बताते हैं कि स्पॉटिंग के लिए कब आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए:

  • अगर आपको एक महीने में एक से ज़्यादा बार पीरियड आए

  • जब आप दिन में कभी चक्कर महसूस करें

  • जब आपको मेनोपॉज़ के बाद स्पॉटिंग दिखे

  • जब आपको पेट के नीचले हिस्से में तेज दर्द महसूस हो

  • जब हल्के पीरियड के साथ आपको मतली या बुख़ार आए

  • जब आपकी सोनोग्राफी में पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिसीज़ सिंड्रोम (PCOS) दिखे

  • जब प्रेगनेंसी के दौरान ख़ास कर के शुरूआती तीन महीनों में स्पॉटिंग हो

ऊपर बताये गए सभी लक्षण आपातकालीन स्थिति से जुड़े हैं जिनमें डॉक्टर का परामर्श लेना ज़रूरी है। इन परेशानियों को खुद घर पर ही ठीक करने की कोशिश ना करें। जल्दी ही अपने डॉक्टर से मिलें और उनसे ज़रुरी टेस्ट के बारे में जानें। कभी-कभी टेस्ट की ज़रूरत नहीं होती है, और आप स्पॉटिंग की इस परेशानी को दवाइयों, स्वस्थ खान-पान और कसरत से ही ठीक कर सकते हैं।

स्पॉटिंग पर कुछ ज़रूरी बातें

हर महीने होने वाला स्त्रावण ही एक महिला का जनन संबंधी स्वास्थ्य तय करता है। पीरियड के पैटर्न होने वाले बदलाव सीधे आपके जीवन पर असर डालते हैं। चाहे वो बार-बार स्पॉटिंग दिखना, हल्के पीरियड या ज़्यादा बहाव वाले दिन हों, आपको इन तीनों ही अवस्थाओं को कभी भी नज़र अंदाज़ नहीं करना चाहिए। बहुत ज़्यादा सोचने से भी इसका कोई हल नहीं निकलेगा। इसलिए ज़रूरी है कि सही तरीका अपनाएं। अगर आपको डॉक्टर से बात करने में परेशानी हो रही है, तो अपनी माँ या किसी करीबी दोस्त से बात करें। लेकिन अपने आप से दवाई लेकर इलाज करने की कोशिश ना करें।

पीरियड में होने वाला रक्त स्त्रावण के कारण अलग-अलग होते हैं, जो कई बातों पर निर्भर करते हैं - उम्र, शादीशुदा होना या ना होना, खाने से जुड़ी आदतें, पोषण आदि। स्पॉटिंग भी एक ऐसी अवस्था है जो किसी गंभीर बिमारी से जुड़ी हो सकती है और नहीं भी।  अगर किसी तरह की अनुवांशिक बिमारी आपके परिवार में रही है तो अपने माता-पिता से उसकी जानकारी लें।  परिवार में सर्वाइकल कैंसर की हिस्ट्री होने पर अपने पीरियड की नियमितता को लेकर सतर्क रहें जब तक कि आपका पीरियड पूरी तरह से बंद न हो जाए।

ये रहे   कुछ आम तरीके जिनसे आप मेंस्ट्रुअल साइकिल से जुड़ी परेशानियों जैसे अचानक स्पॉटिंग होना, से छुटकारा पा सकते हैं:

भविष्य में होने वाली स्वास्थ्य परेशानीओं के लिए मोटापा एक बहुत बड़ा कारण है। ऐसी महिलाएँ जो मोटी होती हैं, को पीरियड से जुड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सही उम्र में शरीर के मोटापे पर काबू पाएं; नहीं तो आपका मेनोपॉज़ देरी से आ सकता है, जिसके कई दूसरे नुकसान भी हैं।

ज़्यादा दवाइयाँ ना लें। अगर किसी गोली से आपको पीरियड स्पॉटिंग या दर्द में से छुटकारा मिला है, तो तुरंत राहत पाने के लिए उस दवाई पर निर्भर ना रहें। हो सकता है कि स्पॉटिंग अपने आप ही थोड़े दिनों में ठीक हो जाए। इसलिए धीरज से काम लें और एंटीबायोटिक के जाल से बचें।

शारीरिक कसरत करें। पैदल चलना भी आपके पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को अच्छा और सक्रीय बनाता है। शरीर को सुस्त रखने से हॉर्मोन का बनना और बैलेंस दोनों ही में रुकावट होगी जिससे की पीरियड की नियमितता पर भी असर पड़ता है।

प्रेग्नेंट महिलाओं में स्पॉटिंग या डिस्चार्ज होना आम बात है। फिर भी अगर आप प्रेग्नेंसी के शुरूआती पड़ाव पर हैं तो ऐसी चीजें ना खाएँ जो शरीर में गर्मी पैदा करती हैं।

अपने मोबाइल फ़ोन पर पीरियड ट्रैकर इंस्टाल करें। इस तरह से अगर आपकी पीरियड की तारीख के पहले आपको स्पॉटिंग दीखाई दे; आप यह देख पाएँगी। ट्रैकर पीरियड के होने की तारीख, ओव्यूलेशन की तारीख और ऐसे दिन जब आप फ्री हैं इन सबके बारे में अच्छे से बताता है। अगर किसी तरह की परेशानी है तो इस तरह की ऐप का इस्तेमाल पीरियड का रिकॉर्ड रखने के लिए बहुत मददगार होता है।

तो, कुल मिलाकर,  पीरियड स्पॉटिंग एक आम परेशानी है जिसका अनुभव महिला तब तक करती है जब तक पीरियड आते हैं।  और जैसा बताया गया है, अगर लक्षण फिर भी बने रहें तो सही समय पर इसपर ध्यान देना चाहिए, इसकी जाँच और इलाज कराना चाहिए।

पीरियड | पीरियड से जुड़ी परेशानियाँ | स्पॉटिंग

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